2-3 महीने में मणिपुर का समाधान लाएगी नई मोदी सरकार, सीएम ने की घोषणा; ऐक्शन में गृह मंत्री

णिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में जातीय अशांति को दूर करने के लिए मोदी सरकार 3.0 जल्द ही एक कार्य योजना बनाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में चल रहे संकट का समाधान दो से तीन महीने में हो सकता है।सीएम ने शुक्रवार को इंफाल के खुमान लम्पक इंडोर हॉल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 समारोह के दौरान यह बयान दिया।

बीरेन सिंह ने कहा, “हिंसा हर जगह है। मणिपुर में भी है लेकिन इसमें कमी आई है। हालांकि, सीमांत इलाकों में कुछ छिटपुट गोलीबारी हुई, लेकिन अन्य जगहों पर स्कूल, सरकारी प्रतिष्ठान, बाजार और व्यवसाय पूरे राज्य में खुल रहे हैं, जो सामान्य स्थिति की ओर लौटने का संकेत है।” उन्होंने कहा कि मणिपुर में वास्तविक संकट केवल 6-7 महीनों तक रहा, लेकिन मणिपुर में 14 महीनों से अशांति है।

जिरीबाम हिंसा के बारे में मुख्यमंत्री ने माना कि हिंसा सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण हुई। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है क्योंकि लोकसभा चुनाव ड्यूटी के लिए गए सभी सुरक्षाकर्मियों को संवेदनशील क्षेत्रों में फिर से तैनात किया गया है। असम के कछार जिले की सीमा पर स्थित सोरोक अटिंगबी खुनौ गांव के 59 वर्षीय किसान की 6 जून को हत्या के बाद जिरीबाम जिले में हिंसा की ताजा घटनाएं भड़क उठीं।

बीरेन सिंह ने कहा कि मणिपुर में स्थिति बेहतर हो रही है। उन्होंने दावा किया, “पूरे पूर्वोत्तर में मौजूदा अशांति क्षेत्र के बाहर से आने वाले लोगों और नशीली दवाओं के खतरे के कारण है। यह कुछ बाहरी लोगों की संलिप्तता का स्पष्ट संकेत देता है। इसका रूट पता चल जाने के बाद, इलाज बहुत आसान हो जाएगा।” सीएम ने कहा कि मोदी सरकार ने मणिपुर हिंसा को मणिपुर राज्य में शांति वापस लाने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी एजेंसियों के साथ एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की है और वे सभी जानकारी एकत्र कर रहे हैं। बीरेन सिंह ने कहा, “मणिपुर अशांति के समाधान के लिए निश्चित रूप से 2-3 महीनों के भीतर एक कार्य योजना सामने आएगी।”

मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘हमें भावनाओं और राजनीति को अपने कार्यों पर हावी नहीं होने देना चाहिए और इस प्रक्रिया में मूल मुद्दों से ध्यान भटकाना नहीं चाहिए। हम जानते हैं कि हम थक गए हैं… लेकिन हमें इसे कुछ और दिनों तक सहना होगा। बिना मुश्किल दौर से गुजरे हम खुश नहीं रह सकते।’’ मणिपुर में पिछले साल मई से पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले कुकी समुदाय और इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती समुदाय के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

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