लखनऊ में भरभराकर गिरीं दो इमारतें, कुछ देर पहले ही बाहर निकले थे लोग

लखनऊ में नाका थाना क्षेत्र के आर्यनगर इलाके में बुधवार को बड़ा हादसा टल गया। निर्माणाधीन इमारत के साथ ही बगल की भी एक बिल्डिंग भरभराकर गिर गईं। हादसे से कुछ देर पहले ही बगल की इमारत को खाली करा लिया गया था।

इससे किसी को चोट नहीं लगी है। इमारत गिरने से पहले हिलना शुरू हो गई थी। इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। मौके पर पुलिस और नगर निगम की टीम भी पहुंच गई थी। पुलिस ने आसपास के लोगों को वहां से हटा दिया था। आसपास की कुछ और इमारतों में भी दरार आने की बात कही जा रही है। हादसे का कारण निर्माणाधीन इमारत में बनाई जा रही बेसमेंट को बताया जा रहा है। उसके ठेकेदार को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

आर्यनगर में दो मंजिला इमारत का इन दिनों निर्माण हो रहा था। बुधवार दोपहर एक बजे के आसपास अचानक इमारत एक साइड झुकने लगी। इससे बगल की इमारत के लोगों को कंपन महसूर हुआ। फिर उन्हें लगा कि मकान हिल रहा है। लोगों की सूचना पर एसीपी कैसरबाग सहित नाका थाने की फोर्स मौके पर पहुंच गई। मकान से लोगों को बाहर निकाला गया। आसपास रहने वालों को भी हटाया गया। बैरिकेडिंग लगा रास्ते को ब्लॉक कराया गया।

इसी बीच देखते ही देखते निर्माणाधीन इमारत बगल की इमारत पर लुढ़क गई। इससे दोनों इमारतें भरभराकर गिर गईं। अचानक दोनों इमारतों के गिरने से धूल का गुबार उठा और लोगों में भगदड़ मच गई। आसपास के बिजली के पोल भी चपेट में आने से गिर गए। इंस्पेक्टर नाका रामकुमार गुप्ता के अनुसार इस हादसे में किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई है। पुलिस ने निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार दीप को हिरासत में ले लिया है।

अचानक इमारत झुकने लगी और गिर पड़ी
निर्माणाधीन मकान से सटा हुआ मकान भी गिर गया है। इसमें कई दो परिवार रहते थे। एक अमित और दूसरा जूता व्यापारी शिवा अरोरा का परिवार। दोपहर करीब 12 बजे बगल की निर्माणाधीन इमारत ढहने से कुछ देर पहले अमित, उनकी पत्नी रीता, देवर शुभम, सास निर्मला और बेटा ओम (6) घर से बाहर निकल आए। जूता व्यापारी शिवा अरोरा भी परिवार संग रहते हैं। वह दुकान जा चुके थे। घर में उनकी मां मंजीत कौर, पत्नी विधि अरोरा, बेटे शौर्य (6) और दो साल का बेटा मनराज थे। दीवार तिरछी होने का पता चलने पर समय रहते बाहर निकल आए। मकान ढहने से मलबा गिर गया। इसमें शिवा अरोरा की एक स्कूटी भी क्षतिग्रस्त हो गई।

आरोप है कि अधिवक्ता सत्येंद्र ने बिल्डिंग का निर्माण शुरू कराया था। तीन मंजिला इमारत खड़ी करने के बाद बेसमेंट की खुदाई करा रहे थे। मना करने के बाद भी नहीं माने। इसके चलते हादसा हो गया। समय रहते परिवार बाहर नहीं आता तो बड़ा हादसा होता।

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