यह वोटर्स के साथ मजाक, चुनाव आयोग पर भड़का सुप्रीम कोर्ट; अजित-शरद पवार गुट का मामला

जित और शरद पवार गुट पर चल रही सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तल्ख टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई दलबदल करता है और फिर पाला बदलने वाले गुट को ही असली पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाती है।सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की प्रवृत्ति की आलोचना की और कहा कि क्या यह मतदाताओं के साथ मजाक नहीं होगा? सुप्रीम कोर्ट में शरद पवार दल की ओर से याचिका में चुनाव आयोग के 6 फरवरी वाले फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें आयोग ने पार्टी का नाम और चिह्न अजित गुट को दे दिया था।लाइव लॉ. इन के मुताबिक, अजित और शरद पवार गुट को लेकर सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपना फैसला विधायकी ताकत के हिसाब से तय किया है जबकि संगठनात्मक शक्ति को दरकिनार किया गया। यह स्थिति संविधान की दसवीं अनुसूची का पालन नहीं करती है।यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की हो। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने भी असली शिवसेना का चयन करने के लिए विधायकों की संख्या को आधार रखने पर चिंता जताई थी। उद्धव ठाकरे गुट ने मामले में याचिका डाली थी कि महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने एकनाथ शिंदे समूह के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के उनके फैसले को पलट दिया था। दो सप्ताह पहले मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल किया था कि क्या स्पीकर के फैसले ने सुभाष देसाई मामले में संविधान पीठ के फैसले का खंडन नहीं किया है?10 जनवरी को महाराष्ट्र विधानसभा में फैसले लेते हुए स्पीकर नारवेकर ने माना था कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुटही असली शिवसेना है क्योंकि 21 जून 2022 को उनके पास शिवसेना के 54 में से 37 विधायकों का भारी बहुमत है।अब शरद पवार गुट एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने चुनाव आयोग द्वारा अजित पवार गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दिए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। इस पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जे विश्वनाथन ने कहा कि जब चुनाव आयोग किसी गुट को संगठनात्मक ताकत के आधार पर नहीं केवल विधायी ताकत के आधार पर मान्यता दे रहा है तो क्या वह विभाजन को मान्यता नहीं दे रहा है? जो संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत स्वीकृत नहीं है।”न्यायाधीश ने आगे कहा, “इस तरह, आप दलबदल करा सकते हैं और पार्टी के चिह्न पर दावा कर सकते हैं। क्या यह मतदाता के साथ मजाक नहीं होगा?”

शरद पवार को किस बात की चिंता
शरद पवार गुट को आशंका है कि घड़ी चुनाव चिह्न से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनेगी और वे अपने मनचाहे उम्मीदवार को वोट नहीं दे पाएंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शरद गुट की याचिका ठुकरा दी और फैसला अजित पवार के पक्ष में सुनाया। अदालत ने कहा कि अजित पवार के पास घड़ी चुनाव चिह्न रहेगा। इसके अलावा शरद पवार गुट के लिए तुर्रा चलाने वाले आदमी का चिह्न दिया। साथ ही निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि शरद पवार गुट को दिया चिह्न और नाम किसी और दल या निर्दलीय उम्मीदवार को नहीं दिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *