दिल्ली की बिगड़ती हवा के बाद पटाखों पर लगा प्रतिबंध रविवार को बेअसर रहा। देश के कई प्रमुख शहरों में AQI काफी गिर गई। सोमवार सुबह के आंकड़े बताते हैं कि एक ओर जहां दिल्ली में AQI 267 पर रहा।
वहीं, ओडिशा के तालचेर में आंकड़ा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गया। यहां AQI 352 दर्ज किया गया है।
इन शहरों में AQI 301 के पार
सुबह 5 बजकर 57 मिनट के आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा के अंगुल में AQI 306, बालासोर में 334, तालचेर में 352 भुवनेश्वर में 340, कटक में 317, बिहार के बेगुसराय में 381, भागलपुर में 336, गया में 311, पटना में 338, पूर्णिया में 338, राजगिर में 352, सहरसा में 328, कटिहार में 315, राजस्थान के धौलपुर में 320, कोटा में 304, महाराष्ट्र के धुले में 316 पर पहुंच गया है।
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 450 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
स्मॉग की चादर
दिवाली की रात के बाद राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में स्मॉग ने भी दस्तक दे दी। सोमवार सुबह मुंबई में AQI 188 पर रहा। खास बात है कि ऐसे शहरों की संख्या 100 से भी ज्यादा है, जहां वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में है।
यहां बिगड़े हाल
रविवार को आगरा में AQI 60 पर था, जो सोमवार को बढ़कर 149 पर पहुंच गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अधिकतम AQI 149 दर्ज किया गया था, जो बढ़कर 211 पर पहुंच गया। महाराष्ट्र के लातूर में AQI 231 पर है। रविवार को यहां आंकड़ा 170 पर था। चुनावी राज्य मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में AQI 158 से बढ़कर 277 पर पहुंच गया।
राजस्थान के अजमेर में 91 पर रहा AQI 205 पर पहुंच गया है। जबकि, AQI भीलवाड़ा में 91 से 220, चेन्नई में 177 से 248, फरीदाबाद में 190 से 274, प्रयागराज में 168 से 216, रोहतक में 105 से 262 पर पहुंच गया।
क्या बोला था सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में आदेश जारी किया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि बेरियम वाले पटाखों को प्रतिबंधित करने संबंधी आदेश प्रत्येक राज्य के लिए है तथा यह केवल दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तक सीमित नहीं है, जो गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए 2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था और अब उसकी ओर से जारी स्पष्टीकरण से देश भर में प्रभाव पड़ेगा।
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने राजस्थान सरकार से दिवाली पर पटाखे चलाने के संबंध में उसके पूर्व के निर्देशों का पालन करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘आम आदमी को पटाखों से होने वाले नुकसान को लेकर संवेदनशील बनाना अहम है। आजकल बच्चे ज्यादा पटाखे नहीं चलाते बल्कि वयस्क चलाते हैं। यह गलत अवधारणा है कि प्रदूषण अथवा पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी न्यायालय की है। लोगों को आगे आना होगा। वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी सभी की है।’