भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नेता जेपी नड्डा ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश की राज्यसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का इस्तीफा राज्यसभा सभापति ने स्वीकार कर लिया है।पिछले महीने गुजरात से उच्च सदन के लिए निर्विरोध चुने जाने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। वह उन 57 राज्यसभा सदस्यों में से थे जिनका कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा था।नड्डा उन 41 उम्मीदवारों में शामिल थे, जिन्होंने 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले हाल ही में संपन्न राज्यसभा चुनावों में निर्विरोध सीटें जीतीं। उन्हें गुजरात से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया।
जेपी नड्डा का सियासी करियर
जेपी नड्डा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर छात्र राजनीति में प्रवेश किया। उनके पिता पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे। 1977 में, एबीवीपी के टिकट पर उन्होंने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के सचिव के रूप में चुनाव जीता। वह एक साथ एबीवीपी के रोजमर्रा के कामकाज में शामिल हो गए और विभिन्न पदों पर काम किया। 29 साल की उम्र में जेपी नड्डा को 1989 के लोकसभा चुनाव के दौरान, उन्हें भाजपा की युवा शाखा के चुनाव प्रभारी के रूप में एक बड़ी जिम्मेदारी प्रदान की गई।
1991 में 31 साल की उम्र में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। फिर उन्होंने अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश से विधानसभा चुनाव लड़ा और तीन बार जीते। वह तीन बार 1993 से 1998, 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने वन, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित कई मंत्रालयों को संभाला। उन्हें वन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य में वन पुलिस स्टेशन स्थापित करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने शिमला में हरित आवरण को बढ़ावा दिया और इसके लिए उन्होंने राज्य में कई वृक्षारोपण अभियान चलाए।
जेपी नड्डा साल 2012 में राज्यसभा के लिए चुने गए। वह परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी समितियों के सदस्य थे। 2014 में, वह स्वास्थ्य मंत्री बने और 2019 तक इस पद पर अपनी सेवा दी। उन्हें जून 2019 में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया। बाद में वह भाजपा के अध्यक्ष चुने गए। उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है।