अशोक गहलोत का नीतीश वाला दांव, जातिगत सर्वे के मायने क्या है; किसे नफा-किसे नुकसान?

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने जातिगत सर्वे कराने का फैसला लेकर चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक खेला है। ऐसा माना जा रहा है कि सीएम गहलोत के इस निर्णय से कास्ट पॉलिटिक्स को सियासी धार मिलेगी।

चुनाव में फायदा मिलेगा। बीजेपी नुकसान उठा सकती है। राहुल गांधी कहते रहे हैं कि जिसकी जितने भागेदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए। बहस और तेज पकड़ सकती है।राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जातिगत सर्वे से राजस्थान की राजनीतिक में बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है, क्योंकि सरकारी नौकरियों में सवर्ण जातियों का प्रतिनिधित्व उनकी आबादी की तुलना में काफी ज्यादा है। दलित-ओबीसी वर्ग की भागेदारी सवर्ण जातियों की तुलना में कम है। सर्वे के बाद नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग का नया मुद्दा उठेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को चुनाव में फायदा मिल सकता है। क्योंकि एससी-एसटी और ओबीसी वोटर्स पर कांग्रेस का ज्यादा असर रहा है। जबकि बीजेपी का सवर्ण वोटर्स पर असर ज्यादा रहा है।

राजनीति से लेकर नौकरियों में पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी बढ़ेगी

सियासी जानकारों का कहना है कि जातिगत जनगणना से राजनीति से लेकर नौकरियों-तमाम संसाधनों में पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। नीतियां बनाने में इसका खास ध्यान रखा जाएगा। प्रदेश में OBC आरक्षण 21 प्रतिशत है। इसे बढ़ाने को लेकर लगातार मांग उठ रही है। प्रदेश में 1931 की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक जाट, ब्राह्मण, राजपूत, मीणा, गुर्जर, माली और कुम्हार ज्यादा जनसंख्या वाली टॉप-10 जातियों में ​थे। राजपूताना एजेंसी और अजमेर-मेरवाड़ा को मिलाकर जाट 10.72 लाख, ब्राह्मण 8.81 लाख, चर्मकार 7.82 लाख, भील 6.64 लाख, राजपूत 6.60 लाख, मीणा 6.12 लाख, गुर्जर 5.61 लाख, माली 3.83 लाख और कुम्हार 3.73 लाख थे। उदयपुर महामंथन में तय हुआ था कि पिछड़ी जातियों की गणना कराई जाए।

बीजेपी ने साधा निशाना

सीएम गहलोत की इस घोषणा के बाद नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने निशाना साधा है। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा, अगर जातिगत जनगणना की इतनी आवश्यकता थी तो पहले क्यों नहीं किया। जातिगत जनगणना करवाने का संवैधानिक अधिकार केंद्र सरकार का है पर सर्वेक्षण के नाम पर खोए जनाधार को यह कहना कि मैं जातिगत आधार पर योजना बनाऊंगा, योजना तो तब बनाएंगे जब सरकार बनेगी। बीजेपी सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, राजस्थान के विकास से लोगों को भ्रमित करना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नीति है। हर बार एक घोषणा करते हैं, बड़े-बड़े पोस्टर लगा देते हैं। 2011 में कांग्रेस ने जो पूरे देश में जनगणना की थी उसके आंकड़े अभी तक क्यों जारी नहीं किए गए? आप नई जनगणना की बात कर रहे हैं जब इनके सरकार के 2 दिन बचे हैं। क्या सारे के सारे सरकारी अधिकारी आप चुनाव से निकाल लेंगे और जनगणना में लगा देंगे? बिहार की जनगणना के वीडियो आ रहे हैं कि लोगों से उनकी जाति पूछी ही नहीं गई। वहां फर्जीवाड़ा हुआ है।

सीएम गहलोत बोले- सर्वे होगा

सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा था- हम सर्वे करवाएंगे, इसके आदेश तत्काल हो जाएंगे। गहलोत ने कहा- सर्वे होगा, जनगणना तो भारत सरकार करवा सकती है, वह राज्य सरकार नहीं करवा सकती। यह खाली सर्वे हो रहा है, परिवारों का सर्वे हो रहा है, जिससे आर्थिक स्थिति मालूम चल जाएगी। यह हमारी पार्टी का कमिटमेंट है कि हम इसको आगे बढ़ाएंगे। गहलोत सरकार आंकड़ों के आधार पर सरकारी योजना बनाने में और जरूरतमंद लोगों के लिए योजना बनाने में मदद करेगी। सीएम गहलोत की जातिगत सर्वे वाली बात को जमीनी धरातव पर उतार दिया गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने इस संबंध में शनिवार देर रात आदेश जारी कर दिए। बता दें सीएम गहलोत ने शनिवार को दिन में एक कार्यक्रम में सर्वे कराने की बात कही थी। आचार संहिता से पहले सरकार का यह बड़ा दांव माना जा रहा है। सर्वे में नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर के संबंध में जानकारी व आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे।

सुधार की योजनाएं बनाई जाएंगी

इन आंकड़ों का अध्ययन कर समाजों के पिछड़ेपन का आकलन किया जाएगा। उसके अनुसार ही सुधार की योजनाएं बनाई जाएंगी। सरकार का दावा है कि इस प्रकार की योजनाओं से ऐसे पिछड़े वर्गों के जीवन स्तर में सुधार हो सकेगा। राज्य मंत्रिमंडल ने इस संबंध में फैसला किया था। इसके बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने आदेश जारी किए। सर्वेक्षण कार्य का नोडल विभाग आयोजना विभाग होगा। कलेक्टर सर्वे के लिए नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम, ग्राम एवं पंचायत स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं ले सकेंगे। नोडल विभाग ही प्रश्नावली तैयार करेगा। इसमें उन विषयों का उल्लेख होगा, जिससे प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। सूचनाएं और आंकड़े ऑनलाइन फीड किए जाएंगे। डिपार्टमेंट ऑफ इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलॉजी (डीओआईटी) द्वारा इसके लिए अलग से विशेष सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप भी बनाया जाएगा। सूचनाएं विभाग सुरक्षित रखेगा। फिलहाल, इसके शुरू होने में वक्त लगेगा।

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